जय श्री राम। दीपावली का पर्व कार्तिक अमावस्या तिथि को मनाया जाता है जब सांय काल से पूरी रात्रि अमावस्या तिथि हो क्योंकि माता लक्ष्मी उस दिन पूरी रात्रि गणेश जी के साथ पृथ्वी पर भ्रमण करती है और उनके स्वागत के लिए दीपमाला से उनका स्वागत किया जाता है जो कि इस वर्ष 31 अक्टूबर को है ।
इसमें एक बात यह है कि जिस दिन अहोई अष्टमी का व्रत होता है उसी दिन दीपावली आती है जो कि 24अक्टूबर गुरुवार को अहोई अष्टमी का व्रत था और 31 अक्टूबर गुरुवार को दीपावली है इसमें कोई संदेह नहीं है । 1 नवंबर को 6.17 मिनट सायं काल तक ही अमावस्या तिथि है उसके बाद प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी जिसमें दीपमाल करना निषेध माना गया है इसलिए अपने विवेक से काम करे ।
पंडित प्रेम प्रकाश भट्ट जी ने बताया कि आज कल सोशल मीडिया का जमाना है और लोग केवल फेमस होने के लिए लोगो को भ्रमित करते रहते है, दीपावली खुशियों का पर्व है लोग अपने आसपड़ोस नाते रिश्तेवाले के साथ खुशियां बांट ते है ,दीपावली रात्रि का पर्व है न कि दिन का इसलिए 31 अक्टूबर को ही सब लोग दीपावली पर्व मनाए ,भगवान ने स्वयं कहा है कि अधिक पढ़े लिखे लोग ही मुहूर्तों के चक्रों में उलझे रहते है पहले सोशल मीडिया का जमाना नहीं था तो सब लोग शांति से त्योहारों को मनाते थे किसी को कोई संदेह नहीं होता था, इंसान का यदि मन साफ है सबके लिए दया भाव है मन में कोई छल कपट नहीं है तो उसको किसी भी मुहूर्त की जरूरत नहीं है ।
जिन्होंने अपने ऑफिस में सुबह लक्ष्मी पूजन करवाना है वह 1 नवम्बर को कर सकते है। लोग बिंदास होकर 31 अक्टूबर को दीपावली मनाए । दीपावली पर्व की सब लोगों को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं, माता लक्ष्मी सब का कल्याण करे।