क्या आपकी दिवाली की खरीदारी देशविरोधी गतिविधियों को प्रोत्साहित कर रही है?
प्रस्तावना: भारत का संविधान सभी नागरिकों को खाद्य पदार्थ चुनने का अधिकार देता है। भारत सरकार की अधिकृत संस्थाओं, जैसे ‘FSSAI’ और ‘FDA’ द्वारा ही उत्पादों के प्रमाणीकरण का अधिकार है, लेकिन कुछ निजी इस्लामी संस्थाएं गैरकानूनी तरीके से ‘हलाल प्रमाणपत्र’ देने का दबाव बना रही हैं, जिससे एक हलाल अर्थव्यवस्था बनाने की कोशिश की जा रही है। स्वतंत्र भारत की अपनी अर्थव्यवस्था होते हुए ऐसी अलग निजी समानांतर अर्थव्यवस्था का निर्माण अनुचित है। हलाल प्रमाणित उत्पादों द्वारा हम पर यह अर्थव्यवस्था थोपी जा रही है। हलाल प्रमाणपत्र के लिए मौलानाओं को ‘हलाल निरीक्षक’ के रूप में नियुक्त कर उन्हें वेतन दिया जाता है, जिससे यह व्यवसाय न केवल आर्थिक बल्कि धार्मिक पक्षपात भी करता है, जो हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, और अन्य गैर-मुस्लिम समाजों के साथ अन्याय है। इंग्लैंड और नीदरलैंड जैसे यूरोप के 7 देशों में हलाल मांस पर प्रतिबंध है, और उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल प्रमाणपत्र एवं लेन-देन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। इसी प्रकार, देशभर में भी हलाल प्रमाणपत्र पर प्रतिबंध लगाना चाहिए और प्रत्येक जागरूक भारतीय को हलाल प्रमाणित उत्पादों का बहिष्कार कर इस समस्या का समाधान करना चाहिए।
हमारा उद्देश्य ‘हलाल-मुक्त भारत’ होना चाहिए! : पहले मांस के संदर्भ तक सीमित ‘हलाल’ की मांग अब शाकाहारी खाद्य पदार्थों, सौंदर्य प्रसाधनों, दवाओं, अस्पतालों, और घरेलू सामानों तक बढ गई है। इसके लिए निजी संस्थाओं से कानूनी रूप से अवैध ‘हलाल प्रमाणपत्र’ लेना अनिवार्य कर दिया गया है। हिंदू जनजागृति समिति ने 2019 से ‘हलाल सक्ती’ के विरुद्ध एक अभियान शुरू किया है और व्यापारियों के लिए इस विषय पर व्याख्यान आयोजित किए हैं। इससे प्रेरित होकर कई व्यापारी आर्थिक जिहाद के विरुद्ध इस अभियान में शामिल हो रहे हैं। समिति की मांग है कि सरकार तुरंत ‘हलाल प्रमाणपत्र’ पर प्रतिबंध लगाए। यह मांग अब हर हिंदू के मन में उत्पन्न होनी चाहिए। दिवाली जैसे त्योहारों में भारी मात्रा में ऑनलाइन व्यापार के माध्यम से हिंदू ग्राहक खरीदारी करते हैं, और समिति ‘हलाल मुक्त दिवाली’ अभियान के लिए संपूर्ण हिंदू समाज से भाग लेने का आग्रह करती है। हमारा लक्ष्य केवल ‘हलाल-मुक्त दिवाली’ नहीं, बल्कि ‘हलाल-मुक्त भारत’ होना चाहिए।
आतंकवादियों को कानूनी सहायता : पूरी दुनिया में ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ निजी इस्लामी धार्मिक संस्थाओं द्वारा संचालित है। इस व्यवस्था पर किसी देश की सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। इस धन का उपयोग किस लिए किया जाता है, इस पर भी संदेह है। हाल के वर्षों में ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ और ‘जिहादी आतंकवाद’ के बीच संबंध को देखा गया है। हलाल प्रमाणपत्र के जरिए करोड़ों रुपये इकट्ठा करने वाली नीजी संस्था मुंबई रेल बम धमाका, पुणे जर्मन बेकरी विस्फोट, 26/11 मुंबई हमला आदि आतंकी घटनाओं में आरोपी आतंकवादियों को कानूनी सहायता दे रही है। भारत में गिरफ्तार किए गए लगभग 700 आतंकियों को यह संस्था कानूनी सहायता दे रही है। इस अर्थव्यवस्था से अर्जित धन का उपयोग जिहादी आतंकवादियों को कानूनी सहायता देने में किया जा रहा है, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर संकट बनता जा रहा है।
अल्पसंख्यक तानाशाही : सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि शुद्ध शाकाहारी नमकीन, ड्राई फ्रूट, मिठाई, चॉकलेट, अनाज, तेल, साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट, काजल, लिपस्टिक, और अन्य सौंदर्य प्रसाधनों तक ‘हलाल प्रमाणित’ होने लगे हैं। इंग्लैंड के विद्वान निकोलस तालेब ने इसे ‘माइनॉरिटी डिक्टेटरशिप’ कहा है। यदि यह इसी तरह चलता रहा तो यह देश के लिए संकट बन सकता है। भारत की दिशा इस्लामीकरण की ओर है, यह कहना गलत नहीं होगा। हलाल से प्राप्त होने वाला धन इस्लामिक बैंकों में जाता है। ‘हलाल व्यवस्था’ तानाशाही है।
अलग ‘हलाल प्रमाणीकरण’ की क्या आवश्यकता है? : पिछले कुछ समय से भारत में ‘हलाल’ उत्पादों की मांग जानबूझकर की जा रही है, और हिंदू व्यापारियों को व्यापार करने के लिए ‘हलाल प्रमाणपत्र’ लेना पड़ रहा है। पहले मांस के संदर्भ में सीमित इस्लामी ‘हलाल’ संकल्पना आज हलाल अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हर क्षेत्र में लागू की जा रही है। हलाल उत्पादों का बाजार 2024 तक 2.5 ट्रलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। मूलतः जब भारत सरकार की अधिकृत ‘FSSAI’ और ‘FDA’ संस्थाएं उत्पादों का प्रमाणन करती हैं, तो अलग ‘हलाल प्रमाणपत्र’ की आवश्यकता ही क्यों है? आज मैकडॉनल्ड्स, केएफसी, बर्गर किंग, और पिज्जा हट जैसे प्रतिष्ठित ब्रांडों के आउटलेट्स पर हलाल के अलावा अन्य खाद्य पदार्थ न मिलने के कारण हिंदू, जैन, सिख आदि गैर-मुस्लिम समुदायों को हलाल खाद्य पदार्थ मजबूरन खरीदने पड़ रहे हैं।
‘हलाल विरोधी समिति’ की स्थापना: हलाल अर्थव्यवस्था का संगठित रूप से विरोध करने की आवश्यकता को देखते हुए हिंदू जनजागृति समिति के मार्गदर्शन में प्रत्येक जिले में ‘हलाल विरोधी समिति’ का गठन हो रहा है। इस समिति में व्यापारी, अधिवक्ता, सूचना अधिकार कार्यकर्ता, पत्रकार, राष्ट्रप्रेमी नागरिक, और हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के प्रमुखों को शामिल कर हलाल अर्थव्यवस्था के खिलाफ आंदोलन खड़ा किया गया है।
हलाल प्रमाणपत्र व्यवस्था हटाने के लिए सभी प्रतिज्ञा लें! : हल्दीराम, हिमालया, और नेस्ले जैसी कई कंपनियां अपने शाकाहारी उत्पाद भी हलाल प्रमाणित कर बेच रही हैं। हलाल की यह बाध्यता क्यों? भारत में हिंदुओं को खाने या खरीदारी का संवैधानिक अधिकार क्यों नहीं? इसलिए हिंदू समाज को ‘हलाल प्रमाणित’ उत्पाद न खरीदते हुए इस बार की दिवाली पारंपरिक रूप से ‘हलाल मुक्त दिवाली’ के रूप में मनानी चाहिए। चाइनीज उत्पादों पर बहिष्कार की तरह इस हलाल अर्थव्यवस्था का भी विरोध करना चाहिए।
उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाणपत्र के बिना खाद्य उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध! : देश में केवल 15% मुस्लिम समुदाय को इस्लाम आधारित हलाल की आवश्यकता है; इसलिए इसे शेष 85% गैर-इस्लामिक जनसंख्या पर थोपना उनके धार्मिक और उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है। खाद्य और उत्पादों को प्रमाणित करने का अधिकार केवल सरकार के पास है, निजी संस्थाओं के पास नहीं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी हाल ही में यह स्पष्ट किया है। बावजूद इसके, कुछ निजी इस्लामी संस्थाएं गैरकानूनी रूप से ‘हलाल प्रमाणपत्र’ देकर व्यापारियों से भारी शुल्क ले रही हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हलाल प्रमाणपत्र देकर पैसे वसूलने वाले निजी संगठनों के विरुद्ध कार्रवाई के आदेश दिए हैं। हलाल प्रमाणपत्र के जरिए इस्लामी संस्थाएं जो धन इकट्ठा करती हैं, उसका उपयोग आतंकवादी संगठनों और देशविरोधी गतिविधियों के लिए किया जाता है, ऐसी शिकायतें आने के बाद स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्रवाई के आदेश दिए हैं। छत्तीसगढ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने भी हलाल उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस कदम से प्रेरणा लेकर केंद्र सरकार और अन्य राज्य सरकारों को भी ऐसा प्रयास करना चाहिए।
भाइयों और बहनों, याद रखें- “हमारा त्योहार, हमारी खरीदारी, हमारे लोग!” : अवैध ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ से राष्ट्र की सुरक्षा के लिए हिंदू राष्ट्र समन्वय समिति ने ‘हलाल मुक्त दिवाली’ अभियान चलाया है और सभी से इसमें भाग लेने का अनुरोध किया है। हर हिंदू को दिवाली में ‘हलाल’ प्रमाणीकरण के संकटो के बारे में जागरूकता निर्माण करनी चाहिए, शासन को ज्ञापन देना चाहिए और ‘हलाल मुक्त दिवाली’ अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। Hindujagruti.org वेबसाइट पर चलाए जा रहे हस्ताक्षर अभियान में भी भाग लें। राष्ट्रविरोधी हलाल अर्थव्यवस्था का समर्थन न करें! हलाल प्रमाणित मिठाई, खाद्य पदार्थ, उपहार, सौंदर्य प्रसाधन आदि न खरीदें। ‘मैकडॉनल्ड्स’ जैसे हलाल उत्पाद बेचने वाले आस्थानों का बहिष्कार करें! राष्ट्रविरोधी हलाल के दुष्परिणामों के बारे में दूसरों को जागरूक करें और सक्रिय बनाएं! सभी को जागरूक करके सरकार को भी इस पर गंभीरता से कार्रवाई करने के लिए बाध्य करें।
हिंदू जागरूक होंगे तो सफलता निश्चित मिलेगी! : खाद्य पदार्थों और अन्य उत्पादों के प्रमाणन का अधिकार केवल ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण’ (FSSAI) और ‘खाद्य और औषध प्रशासन’ (FDA) जैसी सरकारी संस्थाओं के पास है, लेकिन इसके बावजूद अवैध रूप से हलाल प्रमाणपत्र दिए जा रहे हैं। इस हलाल प्रमाणपत्र के लिए पहली बार 21,500 रुपये और हर साल नवीनीकरण के लिए 15,000 रुपये लिए जाते हैं। हलाल उत्पादों से आने वाली राशि का उपयोग आतंकवादियों की रिहाई के लिए किया जाता है। इसे रोकने के लिए ‘हिंदू राष्ट्र समन्वय समिति’, ‘हलाल सक्ती विरोधी कृति समिति’, ‘हिंदू जनजागृति समिति’ और अन्य समान विचारधारा वाली संस्थाओं ने इस साल देशभर में ‘आपकी दिवाली, हलाल मुक्त दिवाली’ अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत हलाल सक्ती विरोधी आंदोलन, व्यापारी बैठकें, मंडलों की बैठकें, ऑनलाइन याचिकाएं, जागरूकता पोस्टर, व्याख्यान, हस्ताक्षर अभियान, पत्रक वितरण आदि गतिविधियों के माध्यम से जनजागृति की जा रही है। इस अभियान में सभी को राष्ट्रीय भावना से शामिल होने का आह्वान हिंदू राष्ट्र समन्वय समिति द्वारा किया गया है।