नई दिल्ली, 26 मार्च 2025 – भारत ने अपनी पहली स्वदेशी रूप से विकसित मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI) मशीन तैयार कर ली है, जिसे अक्टूबर 2025 तक दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में परीक्षण के लिए स्थापित किया जाएगा। यह MRI मशीन न केवल आयातित चिकित्सा उपकरणों पर निर्भरता कम करेगी, बल्कि उपचार की लागत को भी घटाने में मदद करेगी।
आयात पर निर्भरता होगी कम
वर्तमान में, भारत में उपयोग किए जाने वाले 80-85% चिकित्सा उपकरण आयात किए जाते हैं, जिससे देश को भारी विदेशी मुद्रा व्यय करना पड़ता है। इस स्वदेशी MRI मशीन के विकास से भारत चिकित्सा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाएगा।
AIIMS के निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास ने कहा, “यह पहल भारत में विश्व स्तरीय चिकित्सा उपकरणों को सुनिश्चित करने में मदद करेगी। हमारे पास देश के बेहतरीन वैज्ञानिक और इंजीनियर हैं, और अब हम खुद अपने उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सा उपकरण विकसित करने की ओर बढ़ रहे हैं।”
MRI मशीन के विकास में अहम भागीदारी
MRI मशीन के विकास के लिए प्रीमियर इंस्टीट्यूट और सोसाइटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (SAMEER) के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। SAMEER, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत कार्यरत एक स्वायत्त अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला है।
इस परियोजना में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC) त्रिवेंद्रम और कोलकाता, इंटर यूनिवर्सिटी एक्सेलेरेटर सेंटर (IUAC), और दयानंद सागर इंस्टीट्यूट (DSI) भी शामिल हैं। MeitY ने इस परियोजना को वित्तीय सहायता प्रदान की है ताकि भारत आयात प्रतिस्थापन की ओर आगे बढ़ सके।
MRI मशीन और लीनियर एक्सेलेरेटर तकनीक का भी विकास
इस पहल के तहत, 1.5 टेस्ला MRI स्कैनर और 6 MEV लीनियर एक्सेलेरेटर तकनीक को विकसित किया गया है।
- MRI स्कैनर: यह एक गैर-इनवेसिव मेडिकल इमेजिंग तकनीक है, जिसका उपयोग सॉफ्ट टिश्यू और आंतरिक संरचनाओं की विस्तृत जांच के लिए किया जाता है।
- लीनियर एक्सेलेरेटर (LINAC): इसका उपयोग कैंसर के उपचार में उच्च-ऊर्जा एक्स-रे या इलेक्ट्रॉनों को सटीक रूप से ट्यूमर पर केंद्रित करने के लिए किया जाता है।
आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम
यह पहल आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारत की चिकित्सा प्रौद्योगिकी में स्वदेशी क्षमताओं को मजबूत करेगी। AIIMS के निदेशक ने कहा, “भारत में क्रिटिकल केयर, आईसीयू, रोबोटिक्स और उन्नत चिकित्सा तकनीकों में अधिकांश उपकरण आयात किए जाते हैं। यह परियोजना देश की अपूर्ण जरूरतों को पूरा करने और वैश्विक स्तर पर भारत को एक मजबूत चिकित्सा नवाचार केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।”
MRI मशीन का यह स्वदेशी विकास न केवल स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा, बल्कि चिकित्सा प्रौद्योगिकी में भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे ले जाएगा।