उदयपुर, राजस्थान – राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित मेनार गांव में होली का उत्सव एक खास परंपरा के साथ मनाया जाता है। यहां के मेनारिया ब्राह्मण समाज द्वारा पिछले 400 वर्षों से परंपरागत रूप से होली का आयोजन किया जा रहा है, जो पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है।
यहां की होली केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक गाथा और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। इतिहासकारों के अनुसार, मेवाड़ में मुगलों के अत्याचार से सभी लोग परेशान थे। इसी दौरान महाराणा प्रताप ने मुगलों के खिलाफ हल्दीघाटी का युद्ध शुरू किया। मेनार क्षेत्र में भी मुगलों की टुकड़ी तैनात थी, जिनकी हरकतों से लोग भयभीत थे।
लेकिन मेनारिया ब्राह्मणों ने एक योजना बनाई और मुगलों को गैर कार्यक्रम में आमंत्रित किया। उस समय जब ढोल की थाप पर गैर शुरू हुई, तो यह जोश इतना बढ़ा कि यह गैर युद्ध का रूप ले ली। मेनारिया ब्राह्मणों ने इस युद्ध में मुगलों को हराया और उन्हें यहां से खदेड़ दिया। इस विजय की खुशी में पिछले 400 वर्षों से ‘जमराबीज’ त्योहार मनाया जाता है।
आज भी इस ऐतिहासिक परंपरा को निभाते हुए मेनारिया समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में रंगों और गुलाल से होली खेलते हैं। साथ ही, विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान भी आयोजित किए जाते हैं, जिसमें भगवान नरसिंह की विशेष पूजा होती है। इस आयोजन में पारंपरिक लोकगीत, नृत्य, और होली की हुरियारिनों की टोली विशेष आकर्षण का केंद्र रहती है।
स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार, यह परंपरा सदियों पुरानी है और इसे हर साल पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। मेनार गांव की यह ऐतिहासिक होली राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए है और इसे अनोखे अंदाज में मनाने की परंपरा जारी है।