भोपाल 18 अप्रैल 2012। मध्यप्रदेश सरकार हर साल की तरह इस वर्ष भी अक्षय तृतीया अथवा आखा तीज-24 अप्रैल को बाल विवाह की रोकथाम करेगी। राज्य शासन ने बाल विवाह रोकने के लिए बाल विवाह रोकथाम अभियान 2012 भी चलाने का निर्णय लिया है। समस्त जिला कलेक्टरों को निर्देश जारी कर कड़े कदम उठाने के निर्देश दिये हैं।
कलेक्टरों को भेजे पत्र में उनका ध्यान कुछ ऐसी विशेष तिथियों की ओर दिलाया गया है, जिसमें बड़ी संख्या में सामूहिक बाल विवाह होते हैं। इन तिथियों में इस साल 24 अप्रैल को पड़ने वाली अक्षय तृतीया या आखा तीज भी विशेष है। इस दिन होने वाले सामूहिक विवाह की आड़ में कुछ बाल विवाह भी हो जाते हैं। शासन-जिला प्रशासन की मुस्तैदी और उठाए गये सख्त कदमों से होने वाले बाल विवाहों को रोका जा सकता है।
शासन ने जिला कलेक्टरों से कहा है कि वे हर साल की तरह इस वर्ष भी अपने जिले में ऐसे प्रयास करें कि किसी भी परिस्थिति में कोई भी बाल विवाह न हो। इसके लिये समाज के ऐसे प्रभावशाली व्यक्तियोंध्समूहों का सहयोग लें, जो वैवाहिक कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सही उम्र में विवाह का महत्व, कम उम्र में विवाह के दुष्परिणाम आम नागरिकों तक पहुँचाने के लिए बेहतर प्रचार-प्रसार करें। इसमें स्थानीय मीडिया का भी सहयोग लेने को कहा गया है।
आम जनता को राज्य सरकार द्वारा बालिकाओं के हित में चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी देते हुए बाल विवाह न करने की समझाइश देने को कहा गया है। कलेक्टरों से कहा गया है कि वे जिले के किसी भी शासकीय कॉल-सेंटर को बाल विवाह की सूचना देने के लिए स्थायी रूप से अधिकृत करें। कॉल-सेंटर के फोन नम्बर का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए ताकि कोई भी व्यक्ति संभावित बाल विवाह की सूचना कभी भी उस फोन नम्बर पर दे सके। यह व्यवस्था न केवल अक्षय तृतीया बल्कि वर्ष भर के लिए हो। शासन ने जिला कलेक्टरों को बाल विवाह की सूचना प्राप्त होने पर त्वरित कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश भी दिये हैं। उन्हें बाल विवाह रोकथाम अभियान के लिए अपने अधीनस्थ अमले को आवश्यक निर्देश भी देने को कहा गया है।
जिला कलेक्टरों से कहा गया है कि बाल विवाह अवरोध अधिनियम-2006 के तहत वे जिले के बाल विवाह रोकथाम अधिकारी भी हैं।