डॉ0 जटाशंकर तिवारी : (27–10–2021)
*राजनीतिक कैंसर, ऐसी ‘गंभीर समस्याएं’ होती हैं, जिनका समाधान निकालना बहुत ही कठिन हो जाता है। जनता त्रस्त रहती है, कष्ट सहती है,पर यह कैंसर, राजनीतिक दाँव-पेच में ऐसा उलझा रहता है कि बहुत से लोगों का इसकी बलिवेदी पर चढ़ जाना निश्चित हो जाता है। ऐसे कैंसर, बाहरी या अंतरराष्ट्रीय भी होते हैं और देश के अंदर उभड़े या छिपे हुए भी होते हैं। भारत के लिए पाकिस्तान,चीन जैसी बहुत सी समस्याएं, एक बड़े सिर दर्द के रूप में दशकों, दशकों से कैंसर की तरह विद्यमान हैं। वर्तमान में, कहा जा सकता है कि विश्व के अग्रणी कूटनीतिज्ञ के रूप में माननीय मोदी जी उनको पूरा नहीं तो, काफी हद तक, इतना तो रोक रखे ही हैं कि भारत अभी तक सुरक्षित चलता चल रहा है।
फिलहाल, मैं अंतर्देशीय कैंसर की बात छोड़ देता हूँ। इस समय देश के भीतर, समाज के भीतर इतने कैंसर हैं कि माननीय मोदी जी और उनके सहयोगी भी अपने को निस्सहाय अनुभव कर रहे हैं। कैंसर विशेषज्ञ होकर भी वह क्या महसूस करते हैं और उन पर किस तरह का विचार रखते हैं, के बारे में अपने आप को साधारण जनता के रूप में, निष्पक्ष रखकर, साक्षी भाव से लिखने का प्रयास कर रहा हूँ। मतांतर स्वाभाविक है। पर, आप सब से निवेदन है कि अन्यथा नहीं लीजिएगा।
- कैंसर विशेषज्ञ माननीय मोदी जी
आप विश्व में राजनीति के सबसे बड़े कैंसर विशेषज्ञ माने जाते हैं। सर्जरी में अत्यंत प्रवीण हैं।आपकी सर्जिकल स्ट्राइक का लोहा तो पूरा विश्व मानता है। पर, आप देश के भीतर के कैंसर जैसे किसान आंदोलन, सीएए विरोध, जनसंख्या वृद्धि, जातिवादी और क्षेत्रीय राजनीति इत्यादि के बारे में चुप रहना ही, इसकी दवा मानते हैं। संभवतः, आपके सलाहकारों ने आपको समझा कर रखा है कि ऐसे कैंसरों के पहली, दूसरी और तीसरी स्टेज में होने के बाद भी, चुपचाप रहिए। इन कैंसरों के प्रवाह में जो लुट जाते हैं, पिट जाते हैं, बर्बाद हो जाते हैं, मर-कट जाते हैं, देश की या समाज की आर्थिक अथवा अन्य प्रकार की हानि भी हो जाती है तो भी हो जाने दीजिए। कैंसर को बढ़ावा दे रहे आपके प्रति पक्षी गणों के बारे में जब जनता जान लेगी तो अंत में आपके पास ही आएगी कि माननीय मोदी जी अपनी राजनीतिक आयुष्मान योजना में हमें भी शामिल कर लीजिए। हम आपके ही हैं, हम आपके विपक्ष के पास कतई नहीं जाएंगे, हम आप ही को वोट देंगे, आप ही हमारे सरकार हैं और सरकार भी आपकी ही है। माननीय मोदी जी को आखिर क्या चाहिए? वे तो बहुत खुश हैं।अपनी विद्वता, कैंसर के विशिष्ट ज्ञान और treatment की क्षमता का उपयोग न कर चुपचाप रहने की policy adopt किये हुए लगते हैं।
निष्कर्ष के रूपमें, आप जान लीजिये कि मा0 मोदी जी किसी सामाजिक या देशी कैंसर का treatment न करने के पक्ष में हैं और इंतजार कर रहे हैं कि जनता कब उनके राजनीतिक आयुष्मान योजना में शरण लेकर केवल उन्हें ही वोट देगी। इसीलिए आप अधिकतर उन्हें चुप ही पाते हैं। आप अपवाद के रुप में कोरोना का उदाहरण देने की सोच सकते हैं। पर,वह तो अंतर्राष्टरीय कैंसर था और है। वहाँ गलती नहीं कर रहे हैं और उसके लिए पूरा देश ही नहीं पूराविश्व उनकी प्रशंसा कर रहा है। - माननीय योगी जी
आप भी बहुत ही अच्छे कैंसर स्पेशलिस्ट हैं। बहुत ही अच्छी सर्जरी भी करते हैं। उत्तर प्रदेश की तमाम घटनाएं इसके उदाहरण हैं। आप कैंसर के दूसरे स्टेज में उसे बढ़ने न देने के लिए सारी शक्ति लगा देते हैं और लोगों को इसका काफी लाभ दिलाते हैं। कैंसर स्वरूप करोना के दूसरे स्टेज में आपने विश्व प्रशंसनीय कार्य करके दिखा दिया है कि कोई भी स्पेशलिस्ट कैसे कार्य करता है और इससे जनता को कैसे बचाया जा सकता है। जनता भी इनसे बहुत प्रसन्न है। यद्यपि, कैंसर के प्रथम स्टेज तक आप भी चुप रहते हैं। तमाम प्रकार के सामाजिक एवं राजनीतिक कैंसर के रोगी हमारे समाज और हमारे प्रदेश में प्रथम स्टेज में हैं और वे इंतजार कर रहे हैं कि आप कब हटें तो वे आगे बढें। आज जब चुनाव सिर पर है तो प्रथम स्टेज के संपूर्ण साधक और सहायक गण आपको उत्तर प्रदेश की राजनीति से हटाने के लिए जी-जान से लगे हैं। वैसे तो, आपका सेकंड स्टेज का ट्रीटमेंट बहुत ही अच्छा रहा है।पर, घर में प्रथम स्टेज के रोगियों को जो चुपचाप पड़े रहने दिए हैं, हो सकता है कि आपको वे आपके पोस्ट से ही टर्मिनेट कर दें। जब आपकी पोस्ट ही नहीं रहेगी तो फिर किसका ट्रीटमेंट करिएगा। अतएव, आप सावधान हो जाइए। हिंदू जनता चाहती है कि आप बने रहें। भाजपा को बचाने के लिए प्रथम स्टेज के कैंसर रोगियों का ट्रीटमेंट इमरजेंसी मानकर तुरंत प्रारम्भ कर कर दीजिए। तरीके हैं। - माननीय हिमंता विस्वा सरमा जी
आप असम के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं।आप नई पीढ़ी के नए उभरते हुए ऐसे कैंसर स्पेशलिस्ट हैं जो कैंसर का ट्रीटमेंट उसके प्रथम स्टेज में ही करना पसंद करते हैं।उदाहरण के लिए उन्होंने एक धर्म विशेष के लोगों को चुनाव के वक्त ही कह दिया था कि मुझे आप लोगों के वोटों की जरूरत ही नहीं है और यदि आप लोगों में कैंसर का प्रथम स्टेज भी दिखाई दिया तो उसकी सर्जरी करना आता है। ऐसे प्रथम स्टेज के समय ही treatment करने वाले सरमा जी का, देश का पूरा हिंदू समाज, बहुत बहुत सम्मान करता है और उनको शत-शत नमन करता है। वैसे अभी तो उनके डॉक्टरी पेशे का प्रारंभ है। पर, उम्मीद है कि भविष्य के सर्वश्रेष्ठ कैंसर चिकित्सकों में उनका नाम अवश्य लिखा जाएगा। - माननीया पूर्व प्रधानमंत्री, श्रीमती इंदिरा गांधी जी
स्व0 श्रीमती इंदिरा गांधी जी किस प्रकार की राजनीतिक कैंसर की सर्जिकल स्पेशलिस्ट थी, इसका आकलन हम इस बात से करते हैं कि इमरजेंसी लगाने के 3 दिन के भीतर पूरे भारत का प्रशासन तंत्र व्यवस्थित हो गया था। उस समय, मैं जिस संस्था में काम कर रहा था वहाँ लगभग 35 सौ कर्मचारी थे ।ऑफिस टाइम के दो-दो, तीन-तीन घंटे बाद तक जहाँ लोग ऑफिस नहीं पहुँचते थे, वहीं ठीक ऑफिस टाइम 7:00 बजते ही गेट पर इतनी भीड़ हो जाती थी कि लगता था किसी दिन यहाँ बहुत बड़ा एक्सीडेंट हो सकता है। इमरजेंसी के उचित या अनुचित होने का इस लेख से कोई संबंध नहीं है। यहाँ, केवल यह बताया जा रहा है कि पूरे भारत के गंभीर प्रशासनिक कैंसर को किस तरह दो-तीन दिन के भीतर ठीक कर दिया गया था। दूसरे चुनाव में इंदिरा गांधी के पुनः वापस आने का राज उनकी इसी शक्ति की देशवासियों द्वारा प्रशंसा थी,जिसे मीडिया ने कभी बताया ही नहीं। अतएव, दोस्तों! हम कह सकते हैं कि हमारा देश ऐसे कैंसर स्पेशलिस्ट की ही आवश्यकता महसूस कर रहा है।माननीय मोदी जी ऐसा करने में सक्षम हैं। परंतु, वर्तमान में थर्ड स्टेज कैंसर की घटनाओं पर भी चुप रह जाना, देश और भाजपा के लिए कितना हितकारी होगा, यह भविष्य के चुनाव ही बताएंगे। माननीय योगी जी ने भी यदि प्रदेश के प्रथम स्टेज के कैंसर रोगियों का ट्रीटमेंट अभी नहीं किया तो उनका भी जाना निश्चित ही समझिए। समय बहुत कम है। बाद में सुधार के लिए शायद मौका भी न मिले।जय हिंद,जय भारत।