प्रोफ़ेसर (डॉ) एसके सिंह : ट्राइकोडर्मा एक फफूंद है जो कृषि में जैविक रोग-नियंत्रण एजेंट के रूप में उपयोग किया जाता है। यह फसलों में कई प्रकार के रोगजनकों को नियंत्रित करने में मदद करता है, खासकर मिट्टी से जुड़े रोगों के लिए। इसके प्रभावी उपयोग के लिए ट्राइकोडर्मा का बड़े पैमाने पर उत्पादन (बहुगुणन) आवश्यक होता है। यहाँ हम ट्राइकोडर्मा के बहुगुणन के लिए सरल और नवीनतम तकनीकों पर चर्चा करेंगे।
1. ट्राइकोडर्मा की बहुगुणन प्रक्रिया
ट्राइकोडर्मा के बहुगुणन में मुख्य रूप से एक उपयुक्त माध्यम का चयन, इसकी नस्ल को बनाए रखना और इसे बड़ी मात्रा में विकसित करना शामिल है। इसमें सस्ते और आसानी से उपलब्ध सामग्री का उपयोग करना महत्वपूर्ण है ताकि यह तकनीक छोटे और सीमांत किसानों के लिए भी सुलभ हो।
2. आसान बहुगुणन विधि
घरेलू स्तर पर
घरेलू स्तर पर ट्राइकोडर्मा का बहुगुणन एक आसान और सस्ती प्रक्रिया है। इसके लिए निम्नलिखित चरण अपनाए जा सकते हैं…
क) सामग्री की तैयारी
1. माध्यम का चयन: चावल, गेहूं, मक्का, या अन्य अनाज।
2. अन्य सामग्री: प्लास्टिक बैग, उबला हुआ पानी, और ट्राइकोडर्मा कल्चर।
ख) प्रक्रिया
1. अनाज का उपचार
चुने गए अनाज को पानी में 30-40 मिनट तक उबालें। इसे ठंडा करके अतिरिक्त पानी निकाल दें।
2. संक्रमण
उबाले हुए अनाज को साफ प्लास्टिक बैग में डालें। ट्राइकोडर्मा कल्चर (1-2 ग्राम) बैग में मिलाएं।
3. इनक्यूबेशन
बैग का मुंह ढीला बांधें और इसे 25-30 डिग्री सेल्सियस पर 10-12 दिनों तक रखें। हर दूसरे दिन बैग को हिलाएं ताकि फफूंद समान रूप से फैले।
4. फसल पर उपयोग
10-12 दिन बाद जब माध्यम हरा हो जाए, तो इसे खेत में मिट्टी के साथ मिलाकर उपयोग करें।
घरेलू स्तर पर गुड़ आधारित तरल विधि
यह विधि ट्राइकोडर्मा के तरल रूप में उत्पादन के लिए है। इस विधि में सर्वप्रथम 1. 5 लीटर पानी में 500 ग्राम गुड़ घोलें। इसे उबालकर ठंडा करें। एक बड़े प्लास्टिक कंटेनर या ड्रम में घोल डालें। ट्राइकोडर्मा कल्चर को इसमें मिलाएँ। कंटेनर को हल्के ढक्कन से ढककर 7-10 दिनों के लिए रखें। हर दिन मिश्रण को हिलाएँ। जब घोल में कवक की मोटी परत दिखने लगे, तो यह उपयोग के लिए तैयार है।
3. व्यावसायिक स्तर पर बहुगुणन की नवीनतम तकनीकें
बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इनमें फर्मेंटेशन तकनीक और स्वचालित मशीनरी शामिल हैं।
क) ठोस माध्यम पर बहुगुणन
1. माध्यम: गेहूं की भूसी, धान की भूसी, या कॉर्न कोब पाउडर।
2. प्रक्रिया: माध्यम को नमी में 50-60% तक बनाए रखें। ट्राइकोडर्मा कल्चर को माध्यम में मिलाएं। इसे ट्रे या कंटेनर में फैलाएं।25-30°C पर 7-10 दिनों तक रखें।
ख) तरल माध्यम में बहुगुणन (सबमर्ज फर्मेंटेशन)
1. माध्यम का चयन: तरल माध्यम जैसे कि मोलासेस (गुड़) या अन्य चीनी आधारित पदार्थ।
2. प्रक्रिया: एक बायोरिएक्टर या फर्मेंटर का उपयोग करें। इसमें तरल माध्यम डालकर ट्राइकोडर्मा कल्चर मिलाएं। इसे 25-28°C पर 72-96 घंटे तक रखें। तैयार तरल कल्चर को सीधे खेत में स्प्रे करें या पाउडर फॉर्म में परिवर्तित करें।
4. नवीनतम तकनीकें और नवाचार
क) बायो-रीएक्टर तकनीक: यह तकनीक बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए उपयुक्त है। इसमें फर्मेंटर में तरल माध्यम पर ट्राइकोडर्मा को विकसित किया जाता है। यह विधि उच्च गुणवत्ता वाले ट्राइकोडर्मा उत्पादन के लिए आदर्श है।
ख) नैनो-एन्कैप्सुलेशन: नवीनतम अनुसंधान के तहत, ट्राइकोडर्मा को नैनो-एन्कैप्सुलेटेड फॉर्म में संरक्षित किया जाता है। यह तकनीक इसके प्रभाव को लंबे समय तक बनाए रखने में सहायक है।
ग) माइक्रोबियल कंसोर्टिया: ट्राइकोडर्मा को अन्य लाभकारी माइक्रोब्स के साथ मिलाकर उपयोग किया जाता है। यह विधि रोग नियंत्रण और पोषण में दोगुना लाभ प्रदान करती है।
5. बहुगुणन के लाभ
1. लागत में कमी:कम लागत वाले माध्यम और तकनीक से उत्पादन।
2. पर्यावरण के अनुकूल:रसायनों के उपयोग को कम करता है।
3. उत्पादकता में वृद्धि:पौधों की वृद्धि और रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार।
4. सतत कृषि:जैविक खेती को बढ़ावा देता है।
6. चुनौतियाँ और समाधान
चुनौतियाँ: प्रारंभिक कल्चर की उपलब्धता। उत्पाद को सही तापमान और नमी पर बनाए रखना। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी।
समाधान: कृषि विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केंद्रों द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम। स्थानीय स्तर पर ट्राइकोडर्मा उत्पादन इकाइयों की स्थापना।
7. पैकेजिंग और भंडारण
ट्राइकोडर्मा को ठंडी और सूखी जगह पर रखें।
इसे हवादार बैग या कंटेनर में संग्रहित करें।6-12 महीनों तक भंडारण योग्य।
8. खेत में उपयोग का तरीका
1. बीज उपचार: 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा को 1 लीटर पानी में घोलें।बीजों को इस घोल में 30 मिनट तक भिगोएँ।
2. मिट्टी उपचार: 1 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर को 100 किलोग्राम गोबर खाद में मिलाएँ। इसे 5-7 दिनों के लिए छायादार स्थान पर रखें। इस मिश्रण को खेत में फैलाएँ।
3. पौध उपचार: पौधों की जड़ों को 30 मिनट तक ट्राइकोडर्मा घोल में डुबोएँ।
सारांश
ट्राइकोडर्मा का बहुगुणन एक आसान, किफायती और पर्यावरण अनुकूल तकनीक है जो कृषि उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसकी बहुगुणन तकनीक को स्थानीय स्तर पर अपनाकर किसानों की आय और कृषि उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। नवीनतम तकनीकों का उपयोग इसे और अधिक प्रभावी और व्यावसायिक रूप से उपयोगी बना सकता है।
(विभागाध्यक्ष, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय , पूसा , समस्तीपुर, बिहार)