चंडीगढ़ : चंडीगढ़ रेजिडेंट्स एसोसिएशंस वेलफेयर फेडरेशन (CRAWFED) ने नगर निगम द्वारा सामुदायिक केंद्रों के किराए में प्रस्तावित बढ़ोतरी और उनके प्रबंधन को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत निजी एजेंसियों को सौंपने की योजना का कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
फेडरेशन ने सोमवार को नगर निगम आयुक्त को एक ज्ञापन सौंपते हुए चेतावनी दी कि यह कदम सामुदायिक केंद्रों की मूल भावना और उद्देश्य के विरुद्ध है। ज्ञापन में कहा गया है कि सामुदायिक केंद्रों की स्थापना सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और कल्याणकारी गतिविधियों के लिए किफायती स्थान उपलब्ध कराने हेतु की गई थी।
CRAWFED के चेयरमैन हितेश पुरी ने कहा, “किराया वृद्धि और पीपीपी मॉडल के तहत निजी हाथों में प्रबंधन सौंपना, आम जनता को इन केंद्रों से दूर कर देगा। कई रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों (RWA) के लिए नियमित बैठकें आयोजित करना कठिन हो जाएगा। यह कदम सामुदायिक भावना और जनकल्याण की सोच के विपरीत है।”
फेडरेशन ने मांग की है कि 30 मई 2025 को होने वाली एमसीसी हाउस मीटिंग में इन प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया जाए। उन्होंने आग्रह किया कि सामुदायिक केंद्रों के किराए में कोई वृद्धि न की जाए और उनका प्रबंधन सार्वजनिक तंत्र के अधीन ही रहे।
CRAWFED के महासचिव रजत मल्होत्रा ने कहा, “हमारा मानना है कि सार्वजनिक संसाधनों का उपयोग सभी नागरिकों के लिए सुलभ और न्यायसंगत होना चाहिए, न कि लाभ कमाने का जरिया।”
फेडरेशन की यह अपील चंडीगढ़ में सार्वजनिक संसाधनों के निजीकरण के खिलाफ बढ़ती जनभावना का संकेत देती है। अब सबकी निगाहें 30 मई को होने वाली एमसीसी बैठक पर टिकी हैं, जहां इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।