प्रोफ़ेसर (डॉ) एसके सिंह : आम (Mangifera indica) को भारत का “फलों का राजा” कहा जाता है। उत्तर भारत में आम की खेती प्रमुख रूप से गर्मियों के मौसम में फल प्रदान करने वाले पौधों में से एक है। आम में फूल आने की प्रक्रिया (मंजर लगना) अत्यधिक जटिल है और यह विभिन्न आंतरिक और बाहरी कारकों पर निर्भर करती है। यह प्रक्रिया जलवायु, मिट्टी, पौधों की प्रजाति, और कृषि प्रबंधन प्रथाओं जैसे अनेक कारकों से प्रभावित होती है जैसे…..
1. जलवायु कारक
अ . आम में फूल आने के पूर्व अनुकूल
जलवायु
आम में फूल आने का समय और मात्रा मुख्य रूप से जलवायु से नियंत्रित होता है जिसने प्रमुख है…
तापमान
सर्दियों के मौसम में न्यूनतम तापमान 10-15°C के बीच होना आम में फूल आने के लिए आवश्यक है। ठंडी और शुष्क परिस्थितियां फूल बनने की प्रक्रिया (फ्लोरेसेंस) को प्रेरित करती हैं। यदि सर्दियों में तापमान अधिक हो या लगातार गर्म मौसम बना रहे, तो फूलों की संख्या कम हो सकती है।
दिन की लंबाई
आम की कुछ किस्में दिन की लंबाई पर निर्भर होती हैं। छोटा दिन (शॉर्ट डे) फूलों की प्रेरणा के लिए उपयुक्त होता है।
नमी
सर्दियों के दौरान कम सापेक्षिक आर्द्रता (50-60%) आम के फूलों के विकास के लिए आदर्श है। अत्यधिक नमी वाले क्षेत्रों में फूलों पर फफूंद रोगों का प्रकोप हो सकता है।
बारिश
सर्दियों और शुरुआती वसंत के दौरान अत्यधिक बारिश फूलों और कलियों को गिरा सकती है। साथ ही, बरसात के मौसम में पानी का जमाव जड़ सड़न और पोषणीय असंतुलन पैदा कर सकता है।
ब. आम में फूल आने के समय अनुकूल जलवायु
आम में फूल आने के समय अनुकूल जलवायु फल उत्पादन और गुणवत्ता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उत्तर भारत में फूल आने का समय मुख्यतः जनवरी से मार्च के बीच होता है, हालांकि यह भौगोलिक क्षेत्र और प्रजाति के आधार पर थोड़ा भिन्न हो सकता है।
अनुकूल जलवायु के प्रमुख घटक
तापमान
आम में फूल आने के लिए दिन का तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस सर्वोत्तम होता है और
रात का तापमान 10-20 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। अत्यधिक ठंड या पाला आम के फूलों को नुकसान पहुंचा सकता है।
आर्द्रता
आन में फूल आने के समय 50-60% की मध्यम आर्द्रता अनुकूल होती है।अत्यधिक आर्द्रता (80% से अधिक) रोगों, जैसे एंथ्रेक्नोज़ और पाउडरी मिल्ड्यू, को बढ़ावा दे सकती है।
वर्षा
फूल आने के समय वर्षा या ओलावृष्टि फसल के लिए हानिकारक होती है। शुष्क मौसम फूलों के विकास और परागण के लिए आदर्श होता है।
धूप और रोशनी
भरपूर धूप वाले दिन परागण को प्रोत्साहित करते हैं। लगातार बादल या कोहरा परागण को प्रभावित कर सकता है।
हवा
हल्की शुष्क हवा परागण में सहायक होती है।तेज़ हवाएं फूलों को झाड़ सकती हैं और परागण में बाधा डाल सकती हैं।
पानी की उपलब्धता
फूल आने के समय सिंचाई बंद कर देनी चाहिए, क्योंकि सूखा तनाव फूल आने की प्रक्रिया को उत्तेजित करता है।
अन्य ध्यान देने योग्य बातें
जलवायु परिवर्तन
असामान्य तापमान और समय से पहले या बाद में बारिश फूलों और फलों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
आम में फूल आने के लिए शुष्क और हल्के गर्म दिन, ठंडी रातें, और कम आर्द्रता वाली जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। ऐसी परिस्थितियां परागण और फल-सेटिंग की सफलता सुनिश्चित करती हैं।
2. मिट्टी और पोषणीय कारक
(क) मिट्टी का प्रकार
उत्तर भारत में आम की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी फूलों के स्वस्थ विकास में सहायक होती है।
(ख) पोषक तत्व
आम में फूल आने के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का सही संतुलन आवश्यक है। अधिक नाइट्रोजन से पत्तियों की वृद्धि बढ़ जाती है, लेकिन यह फूलों के विकास को बाधित कर सकती है।
(ग) मिट्टी का pH
मिट्टी का pH 5.5 से 7.5 के बीच होना आदर्श है। अत्यधिक अम्लीय या क्षारीय मिट्टी पौधों की पोषक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है।
3. आनुवंशिक कारक
(क) किस्मों का चयन
आम की विभिन्न किस्में (जैसे दशहरी, लंगड़ा, चौसा, और मल्लिका) फूल आने के समय और मात्रा को प्रभावित करती हैं। दशहरी और लंगड़ा जैसी किस्में उत्तर भारत में लोकप्रिय हैं क्योंकि ये स्थानीय जलवायु परिस्थितियों के साथ अच्छी तरह अनुकूलित होती हैं।
(ख) पौधों की उम्र
सामान्यतः 5-6 वर्ष की आयु के बाद आम के वृक्ष फूल और फल देना शुरू करते हैं। पुराने वृक्षों में फूलों की संख्या कम हो सकती है, इसलिए समय-समय पर वृक्षों की छंटाई और प्रबंधन आवश्यक होता है।
4. कृषि प्रबंधन प्रथाएं
(क) छंटाई और कटाई
सर्दियों के पहले पुराने और अवांछित शाखाओं की छंटाई पौधे की ऊर्जा को फूलों के विकास की ओर मोड़ती है।
(ख) सिंचाई प्रबंधन
सर्दियों में फूलों के समय सिंचाई बंद कर दी जाती है। शुष्क अवस्था में वृक्षों में फूलों का विकास अधिक होता है।
(ग) फूल प्रेरक रसायन
पोटैशियम नाइट्रेट और एथ्रेल (Ethephon) जैसे रसायनों का उपयोग कुछ मामलों में फूल आने की प्रक्रिया को प्रेरित करता है।
5. जीव वैज्ञानिक कारक
(क) फाइटोहॉर्मोन का प्रभाव
जैविक हार्मोन, जैसे जिबरेलिन और साइटोकाइनिन, आम के फूलों के विकास को प्रभावित करते हैं। जिबरेलिन की उच्च मात्रा फूलों को दबा सकती है, जबकि साइटोकाइनिन फूलों की संख्या बढ़ाने में सहायक होती है।
(ख) रोग और कीट प्रबंधन
फूल आने के दौरान कीटों और बीमारियों का प्रभाव प्रबंधन करना आवश्यक है। पाउडरी मिल्ड्यू और एन्थ्रेक्नोज जैसे रोग फूलों की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।
6. स्थानीय कारक और भौगोलिक प्रभाव
(क) क्षेत्रीय विविधता
उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों (जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बिहार, और हरियाणा) में तापमान और मिट्टी की संरचना में भिन्नता आम के फूलों के समय और मात्रा को प्रभावित करती है।
(ख) जलवायु परिवर्तन
हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन से फूलों के समय और गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। असामयिक बारिश और गर्म हवाएं फूलों की क्षति का कारण बनती हैं।
सारांश
उत्तर भारत में आम में फूल आने के लिए उपयुक्त जलवायु, मिट्टी, और पौधों की सही प्रजाति का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, उचित कृषि प्रबंधन और पोषणीय संतुलन बनाए रखना फूलों की संख्या और गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक होता है। जलवायु परिवर्तन के इस युग में, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाना आवश्यक है ताकि आम की उत्पादकता और गुणवत्ता बनी रहे।
(डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय , पूसा , समस्तीपुर, बिहार, विभागाध्यक्ष, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी)