नई दिल्ली, 13 जून – कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (MoA&FW) द्वारा आज राजधानी में आयोजित “नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन एग्री स्टैक: डेटा से डिलीवरी तक” में अत्याधुनिक तकनीकों और राज्यों की नवाचार आधारित पहलों को प्रमुखता से प्रस्तुत किया गया। सम्मेलन का मुख्य फोकस था—कैसे डिजिटल टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से किसानों को बेहतर सेवाएं दी जा सकती हैं।
सम्मेलन का मुख्य आकर्षण एक एआई चैटबॉट रहा, जिसे गूगल जेमिनी के माध्यम से एग्री स्टैक डेटा पर आधारित तैयार किया गया है। यह चैटबॉट किसानों के सवालों का जवाब कई भारतीय भाषाओं में दे सकता है, जिससे डिजिटल जानकारी तक पहुंच अब और अधिक सरल हो गई है।
मंत्रालय ने AI का उपयोग करते हुए फसल पहचान, सर्वेयर की पहचान के लिए फेस ऑथेंटिकेशन, और बैकएंड सिस्टम की दक्षता बढ़ाने जैसे प्रयोगों को भी रेखांकित किया। मुख्य ज्ञान अधिकारी और सलाहकार (CKO&A) ने “डिजिटली वेरीफायबल क्रेडेंशियल (DVC)” या किसान पहचान पत्र की जानकारी दी। यह दस्तावेज़ भूमि और फसल से संबंधित जानकारी को DigiLocker से जोड़ने की सुविधा देता है और स्वचालित रूप से अपडेट भी होता है।
सम्मेलन में एक एकीकृत शिकायत निवारण पोर्टल भी लॉन्च किया गया, जिसमें ओटीपी लॉगिन, मल्टीलैंगुअल सपोर्ट और ऑडियो अपलोड की सुविधा है। किसान अब किसी प्रतिनिधि को सेवा प्राप्त करने या शिकायत दर्ज कराने का अधिकार भी दे सकते हैं, जिससे भूमि से जुड़ी समस्याओं का समाधान और अधिक सुगम हो गया है।
विशेष सत्र “Insights from States on Agri Stack Usage” में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों ने अपनी सफलता की कहानियां साझा कीं।
- महाराष्ट्र ने Mahavistaar AI सलाह तंत्र की जानकारी दी और केंद्र से डेटा प्रोविजनिंग इंजन (DPE) में सहयोग की मांग की।
- उत्तर प्रदेश ने MSP ई-प्रोक्योरमेंट में एग्री स्टैक के सफल उपयोग की बात कही, हालांकि डिजिटल फसल सर्वेक्षण में चुनौतियां बनी हुई हैं।
- कर्नाटक ने अपनी FRUITS प्रणाली को बैंकों से जोड़ने, आपदा राहत और मृदा स्वास्थ्य कार्ड आधारित व्यक्तिगत सलाह जैसे नवाचार प्रस्तुत किए।
सम्मेलन ने यह स्पष्ट किया कि भारत का डिजिटल एग्रीकल्चर विज़न अब ज़मीन पर तेजी से उतर रहा है—और किसानों के लिए तकनीक अब पहले से कहीं अधिक सुलभ और सशक्त हो रही है।