रीवा (मध्यप्रदेश), 30 मई 2025: मध्यप्रदेश की लाड़ली लक्ष्मी योजना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि यह योजना महज आर्थिक सहयोग तक सीमित नहीं, बल्कि नारी सम्मान और सुरक्षा की गारंटी भी है। रीवा जिले के जवा थाना क्षेत्र में एक नाबालिग बेटी का बाल विवाह समय रहते रोक दिया गया—और यह संभव हुआ योजना के दस्तावेजों और एक जागरूक नागरिक की सतर्कता के कारण।
शादी की थी पूरी तैयारी, पर लाड़ली प्रमाण पत्र ने दिखाया सच
16 वर्षीय किशोरी की शादी 27 मई को चकघाट के चंदई गांव के एक 22 वर्षीय युवक से होनी थी। विवाह की सभी रस्में लगभग पूरी हो चुकी थीं, घर में मेहमान जुट चुके थे और बारात का इंतज़ार हो रहा था। लेकिन तभी महिला एवं बाल विकास विभाग और पुलिस विभाग को एक जागरूक नागरिक से सूचना मिली कि लड़की की उम्र वैधानिक सीमा से कम है।
सूचना के बाद तुरंत कार्रवाई करते हुए पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुँची। लाड़ली लक्ष्मी योजना के प्रमाण पत्र और जन्मतिथि दस्तावेजों की जाँच में यह पुष्टि हुई कि लड़की की जन्मतिथि 5 दिसंबर 2008 है—यानी उसकी उम्र महज 16 वर्ष 5 महीने है।
अधिकारियों ने समझाया, विवाह रोक दिया गया
पुलिस और विभागीय अधिकारियों ने मौके पर पहुँचकर विवाह को रुकवाया और परिजनों को समझाइश दी कि नाबालिग की शादी करना कानूनन अपराध है। साथ ही यह चेतावनी भी दी गई कि यदि भविष्य में बाल विवाह की पुनरावृत्ति होती है, तो कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
एसपी विवेक सिंह बोले – “यह सिर्फ कार्रवाई नहीं, बदलाव की शुरुआत है”
रीवा एसपी विवेक सिंह ने बताया कि “बाल विवाह की सूचना मिलते ही तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की गई। लाड़ली लक्ष्मी योजना के प्रमाण पत्र ने यह सुनिश्चित किया कि बच्ची की उम्र का सत्यापन ठीक से हो सके। यह मामला साबित करता है कि यदि सरकारी योजनाओं के दस्तावेजों का सही इस्तेमाल किया जाए, तो समाज में सकारात्मक बदलाव संभव है।“
योजना नहीं, बदलाव की दस्तावेज़ी शुरुआत
लाड़ली लक्ष्मी योजना का यह प्रमाण पत्र एक बार फिर यह साबित करता है कि यह केवल एक कागज़ नहीं, बल्कि नारी गरिमा की रक्षा का उपकरण है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि समाजिक जागरूकता और सरकारी योजनाओं के समन्वित प्रयास से बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को रोका जा सकता है।
निष्कर्ष:
इस घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बालिकाओं के भविष्य की सुरक्षा और शिक्षा के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएँ, यदि जनसहयोग और जागरूकता के साथ लागू हों, तो वे असली बदलाव की कहानी लिख सकती हैं। रीवा की इस बेटी की तरह, कई और बेटियाँ भी अपने सपनों की उड़ान भर सकेंगी—अगर समाज एकजुट होकर उनके साथ खड़ा हो।