नई दिल्ली : बागवानी क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा रहा है। यह न केवल बेहतर पोषण और वैकल्पिक ग्रामीण रोज़गार प्रदान करता है बल्कि कृषि विविधीकरण और किसानों की आय वृद्धि में भी सहायक है। भारत वर्तमान में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फल और सब्ज़ी उत्पादक देश है, वहीं मसालों, नारियल और काजू के उत्पादन में भी उसकी स्थिति मजबूत बनी हुई है।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024-25 (द्वितीय अग्रिम अनुमान) तक बागवानी उत्पादन 2013-14 के 280.70 मिलियन टन से बढ़कर 367.72 मिलियन टन पर पहुंच गया। इसमें 114.51 मिलियन टन फल, 219.67 मिलियन टन सब्ज़ियां और 33.54 मिलियन टन अन्य बागवानी फसलें शामिल हैं।
पिछले एक दशक में इस क्षेत्र ने उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। 2023-24 में फलों का उत्पादन 2014-15 के 866 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 1129.7 लाख मीट्रिक टन हो गया, जबकि सब्ज़ियों का उत्पादन 1694.7 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2072 लाख मीट्रिक टन हो गया। यह क्रमशः 30% और 22% की वृद्धि दर्शाता है। फल और सब्ज़ियों की उत्पादकता भी बढ़कर क्रमशः 15.80 और 18.40 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हो गई है।
सरकार ने बागवानी क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। इनमें एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH), राष्ट्रीय बागवानी मिशन, पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, नारियल विकास बोर्ड और केंद्रीय बागवानी संस्थान शामिल हैं। इन योजनाओं के तहत उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री, आधुनिक तकनीक, संरक्षित खेती, जैविक खेती, सिंचाई और जल संरक्षण, फसलोपरांत प्रबंधन और विपणन अवसंरचना पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बागवानी न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक है बल्कि पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने और कृषि क्षेत्र को भविष्य के लिए मज़बूत बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।


















