नई दिल्ली, मंगलवार: देश में पराली जलाने से उत्पन्न होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए आज नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की, जिसमें केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव भी शामिल हुए।
बैठक में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के कृषि और पर्यावरण मंत्रियों ने वर्चुअल माध्यम से भाग लिया। चर्चा का मुख्य केंद्र बिंदु था— पराली जलाने पर नियंत्रण, किसानों के बीच जागरूकता, वित्तीय सहायता, फसल विविधिकरण और निगरानी व्यवस्था को मजबूत बनाना।
बैठक में राज्यों की ओर से वर्तमान स्थिति और उठाए जा रहे कदमों की जानकारी साझा की गई। हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि राज्य में किसानों को पराली न जलाने के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है, जिससे सकारात्मक बदलाव दिख रहा है। वहीं पंजाब, यूपी और दिल्ली के मंत्रियों ने भी अपने-अपने प्रयासों को सामने रखा।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों और नोडल अधिकारियों की पंचायत स्तर तक भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सीधी बुवाई, फसल विविधिकरण, आधुनिक मशीनों का उपयोग और जागरूकता अभियान ही स्थायी समाधान हैं। चौहान ने यह भी घोषणा की कि वे 12 अक्टूबर को अपने खेत में धान कटाई के बाद सीधी गेहूं की बुवाई करेंगे, ताकि किसान प्रेरित हों।
उन्होंने किसानों को रोटावेटर, चॉपर, बायो डीकम्पोजर, मल्चर, बायो-सीएनजी और इथनॉल प्लांट जैसे उपाय अपनाने की सलाह दी। साथ ही राज्यों को पराली प्रबंधन के लिए दी गई वित्तीय सहायता का पूर्ण और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी राज्यों के प्रयासों की सराहना करते हुए अगले 10 दिनों में कृषि मंत्रालय और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पराली का उपयोग औद्योगिक इकाइयों, ईंट भट्टों और थर्मल पावर संयंत्रों में किया जा सकता है।
बैठक में कृषि सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. मांगी लाल जाट, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।


















