नई दिल्ली: राइजोबियम एक महत्वपूर्ण मृदा जीवाणु है, जो फलीदार (लेग्यूम) पौधों की जड़ों की गांठों के साथ सहजीवी संबंध में रहता है। यह जीवाणु वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर नाइट्रोजन में बदलने में मदद करता है, जिसे पौधे आसानी से अवशोषित कर सकते हैं।
राइजोबियम तभी सक्रिय रूप से नाइट्रोजन स्थिरीकरण करता है जब इसे फलीदार पौधों की जड़ों की गांठों के अंदर अनुकूल वातावरण मिलता है। यह प्रक्रिया कृषि मृदा की उर्वरता बढ़ाने में सहायक होती है, खासकर शुष्क क्षेत्रों में, जहां मृदा में नाइट्रोजन की कमी पाई जाती है। ये बैक्टीरिया डाइनाइट्रोजन (N₂) को अमोनिया (NH₃) में परिवर्तित कर पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देते हैं।
फलीदार पौधों की जड़ की गाँठों में राइजोबियम नाम नाइट्रीकारी जीवाणु पाए जाते है ।
राइजोबियम जीवाणु को उनके द्वारा जुड़े पौधों के प्रकार और विकास दर के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इसकी कुछ प्रमुख प्रजातियाँ निम्नलिखित हैं:
- राइजोबियम लेग्यूमिनोसारम
- राइजोबियम अलामी
- राइजोबियम लैंटिस
- राइजोबियम जैपोनिकम
- राइजोबियम ट्राइफोली
- राइजोबियम फेजोलि
- राइजोबियम स्माइलासिने
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, राइजोबियम के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता को प्राकृतिक रूप से बढ़ाया जा सकता है, जिससे रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम होती है। यह पर्यावरण अनुकूल और सतत कृषि पद्धति को बढ़ावा देने वाला जीवाणु है।