नई दिल्ली, 10 अक्टूबर 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘समाज में सभी के लिए आजीवन शिक्षा को समझना (उल्लास)’ कार्यक्रम के परिवर्तनकारी प्रभाव की प्रशंसा की है। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत वर्ष 2022 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य वयस्कों — विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और महिलाओं — को शिक्षा के नए अवसर प्रदान करना है।
प्रधानमंत्री ने केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी द्वारा लिखे गए एक लेख को साझा करते हुए कहा कि ‘उल्लास’ कार्यक्रम ने वयस्कों के लिए शिक्षा के द्वार खोले हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का बयान: ‘उल्लास’ से ग्रामीण और महिला साक्षरता में आई उल्लेखनीय वृद्धि
पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा,
“राज्य मंत्री जयंत चौधरी इस लेख में बताते हैं कि कैसे ‘उल्लास’ कार्यक्रम ने वयस्कों को शिक्षा का अवसर प्रदान किया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि इस पहल से ग्रामीण और महिला साक्षरता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे भारत संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG-2030) की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है।”
जयंत चौधरी: “साक्षरता वह रेखा है जो आत्मनिर्भरता और निर्भरता के बीच अंतर करती है”
अपने लेख में जयंत चौधरी ने जर्मन मनोविश्लेषक फ्रिट्ज पर्ल्स के शब्दों से शुरुआत की – “सीखना उस चीज की खोज है जो संभव है।”
उन्होंने लिखा, “हर समाज में सीखने का एक चक्र होता है, जिसमें शामिल लोग पढ़ सकते हैं, समझ सकते हैं और निर्णय ले सकते हैं। लेकिन जो लोग इससे बाहर रह जाते हैं, वे दूसरों पर निर्भर रहते हैं।”
उन्होंने साक्षरता को आत्मनिर्भरता की कुंजी बताया।
दीया बाई की कहानी बनी उदाहरण
जयंत चौधरी ने मध्य प्रदेश की दीया बाई का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे वह पहले बैंक से पैसे निकालने तक के लिए दूसरों पर निर्भर थीं, लेकिन ‘उल्लास’ के माध्यम से पढ़ना-लिखना सीखने के बाद, अब न केवल खुद सभी काम करती हैं, बल्कि अपने गांव की अन्य महिलाओं को भी सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ लेने में मदद करती हैं।
2022 से अब तक 2.8 करोड़ से अधिक लोग जुड़े, ग्रामीण साक्षरता 10% बढ़ी
राज्य मंत्री ने बताया कि 2022 में लॉन्च हुए इस कार्यक्रम से अब तक 2.8 करोड़ से अधिक शिक्षार्थी और 45 लाख स्वयंसेवक जुड़ चुके हैं। उन्होंने आंकड़ों के माध्यम से बताया:
- ग्रामीण साक्षरता 2011 में 67.7% थी, जो 2023-24 में 77.5% हो गई।
- महिला साक्षरता 65.4% से बढ़कर 74.6% तक पहुंची।
साक्षरता की परिभाषा में डिजिटल, वित्तीय और गणना कौशल शामिल
जयंत चौधरी ने यह भी बताया कि अगस्त 2024 में शिक्षा मंत्रालय ने साक्षरता की पारंपरिक परिभाषा को विस्तृत किया है। अब इसमें शामिल हैं:
- डिजिटल साक्षरता
- वित्तीय साक्षरता
- गणना (न्यूमेरसी) कौशल
यह कदम संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 4.6 के अनुरूप है, जिसके अनुसार 2030 तक सभी युवाओं और अधिकांश वयस्कों को साक्षर और संख्यात्मक रूप से दक्ष बनाना आवश्यक है।
‘उल्लास’ – शिक्षा की नई रोशनी
‘उल्लास’ यानी Understanding Lifelong Learning for All in Society, एक ऐसा कार्यक्रम बन चुका है जो न केवल शिक्षा के स्तर को ऊपर उठा रहा है, बल्कि समाज के वंचित वर्गों को सशक्त बना रहा है।



















