चंडीगढ़, 10 अक्टूबर: चंडीगढ़ में करवा चौथ का पर्व इस वर्ष भी पारंपरिक उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया गया। जैसे ही शाम के 4:00 बजे, शहर के प्रमुख मंदिरों में महिलाओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। सज-धज कर आई सुहागिनों ने करवा चौथ व्रत की कथा सुनी, जिसमें पुजारियों ने इस पर्व के महत्व और इसकी परंपरा के पीछे की मान्यताओं को विस्तार से समझाया।
शाम होते ही सुखना झील क्षेत्र में विशेष चहल-पहल देखी गई। चांद के दीदार के लिए महिलाएं 8:00 बजे से पहले ही वहां एकत्र होने लगीं। पारंपरिक परिधानों में सजी हजारों महिलाओं ने सुखना लेक के किनारे चांद के दर्शन किए और अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना करते हुए व्रत खोला।
इस अवसर पर कई महिलाओं ने फोटो और वीडियो बनाकर इस यादगार पर्व को कैमरे में भी कैद किया। शहर प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा और यातायात प्रबंधन की विशेष व्यवस्था की गई थी, जिससे उत्सव शांतिपूर्वक संपन्न हुआ।

इस भीड़ में एक बुज़ुर्ग महिला, 65 वर्षीय शारदा देवी, अपनी बहू के साथ आई थीं। उन्होंने बताया कि वे पिछले 40 वर्षों से लगातार करवा चौथ का व्रत कर रही हैं। उनका पति कुछ वर्षों पहले दुनिया से विदा हो चुका है, लेकिन वे आज भी यह व्रत रखती हैं।
शारदा देवी की आँखों में चमक थी जब उन्होंने कहा, “ये सिर्फ व्रत नहीं है, ये एक रिश्ता है — जो जन्मों तक निभाने का वादा करता है। अब मैं अपने पति की आत्मा की शांति और अपनी बहू की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती हूँ।”
उनकी बहू, नेहा, ने भी भावुक होते हुए कहा, “माँजी ने मुझे इस व्रत की असली भावना सिखाई है — यह केवल पति-पत्नी के बीच का रिश्ता नहीं, बल्कि पूरे परिवार की भलाई के लिए की जाने वाली पूजा है।”
शारदा देवी की यह कहानी कई महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी, जो पहली बार करवा चौथ कर रही थीं।
कांग्रेस नेता दीपा दुबे के परिवार के बेटों और उनकी पत्नियों ने भी सुखना लेक पर एक साथ करवा चौथ का व्रत खोला। यह दृश्य दर्शाता है कि यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक एकता का भी प्रतीक है।



















