चंडीगढ़, 7 अक्टूबर: चंडीगढ़ से सांसद और भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री मनीष तिवारी ने 6 अक्टूबर की शाम को केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री श्री एम.एल. खट्टर से मुलाकात की और चंडीगढ़ मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (एमआरटीएस) परियोजना को व्यक्तिगत रूप से प्राथमिकता देने का आग्रह किया।
इस अवसर पर श्री तिवारी ने श्री खट्टर को एक विस्तृत पत्र सौंपा, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि वे नवंबर 2019 से केंद्र सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि अंबाला से कुराली और लांडरां से कालका तक के क्षेत्र में एक प्रभावी एमआरटीएस प्रणाली विकसित की जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि यह एक हाइब्रिड ओवरग्राउंड-अंडरग्राउंड मेट्रो नेटवर्क के रूप में विकसित किया जाए, जो चंडीगढ़, मोहाली, पंचकूला और न्यू चंडीगढ़ को आपस में जोड़े और क्षेत्र की आर्थिक व व्यावसायिक क्षमता को नया आयाम दे।
यूएमटीए की सुस्त कार्यप्रणाली पर चिंता
श्री तिवारी ने यह भी बताया कि एकीकृत महानगर परिवहन प्राधिकरण (यूएमटीए) का दृष्टिकोण इस परियोजना के प्रति अत्यंत ढीला और अस्पष्ट रहा है। यूएमटीए की बैठकों में भी किसी ठोस निर्णय की कमी देखी गई है। उन्होंने बताया कि RITES (राइट्स) द्वारा दो व्यवहार्यता रिपोर्ट पहले ही दी जा चुकी हैं, जिनमें इस मेट्रो नेटवर्क को व्यवहार्य बताया गया है, परंतु अब तक कोई ठोस कार्य योजना या विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) नहीं बनाई गई है।
पूरी तरह केंद्र सरकार से फंडिंग की मांग
श्री तिवारी ने स्पष्ट किया कि पंजाब और हरियाणा की वित्तीय स्थिति को देखते हुए इन राज्यों के लिए इस परियोजना को अकेले लागू करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ एक केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए इसकी परियोजनाएं केंद्र सरकार के बजट से ही वित्तपोषित होती हैं। ऐसे में चंडीगढ़ मेट्रो परियोजना को भी केंद्र द्वारा पूरी तरह वित्तपोषित योजना के रूप में लागू किया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि RITES रिपोर्ट के अनुसार इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग ₹21,000 करोड़ है, जिसे आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की मंजूरी के साथ आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
अन्य शहरों की तुलना में चंडीगढ़ की उपेक्षा पर नाराजगी
श्री तिवारी ने बताया कि भारत के 25 शहरों में पिछले दो दशकों में मेट्रो सेवाएं शुरू की जा चुकी हैं, जिनमें कोच्चि, नागपुर, अहमदाबाद, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे शहर प्रमुख हैं। ऐसे में यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि चंडीगढ़, जो पंजाब और हरियाणा दोनों की राजधानी है, अब तक मेट्रो जैसी बुनियादी परिवहन सुविधा से वंचित है, जबकि इससे सटे तीन प्रमुख शहरी क्षेत्र (मोहाली, पंचकूला और न्यू चंडीगढ़) भी इससे लाभान्वित हो सकते हैं।






